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योगाचार्य डॉ. एलएन जोशी ने पुलिस कर्मियों को ड्यूटी स्थल पर कराया योगाभ्यास

ऋषिकेश। उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के योग विज्ञान की ओर से श्यामपुर पुलिस चौकी में फ़्रंटलाइन वॉरियर्स पुलिस कर्मचारियों को योगाभ्यास कराया गया। विश्वविद्यालय में योग विभागाध्य़क्ष डॉ. एलएन जोशी ने पुलिस कर्मियों को बताया कि किस प्रकार ड्यूटी के समय आसान योगाभ्यास से तमाम रोगों और तनाव से दूर रहा जा सकता है।
प्रसिद्ध योगाचार्य डॉ. जोशी के देश विश्व में बड़ी संख्या में फॉलोअर्स हैं। डॉ. जोशी इन दिनों ऑनलाइन माध्यमों से दुनियाभर में लोगों को योग के महत्व के बारे में प्रशिक्षण दे रहे हैं। इन दिनों डॉ. जोशी उत्तराखंड पुलिस के जवानों को उनकी ड्यूटी के दौरान योग का प्रशिक्षण करा रहे हैं।
डॉ. जोशी ने सोमवार को श्यामपुर पुलिस चौकी में प्रशिक्षण दिया। उनका कहना है कि पुलिस कर्मी रातदिन जनता की सुरक्षा में तैनात रहते हैं, इस कारण उन्हें कई घंटे खड़े रहना पड़ता है। इस वजह से उनको कमर दर्द, एड़ी में दर्द, वैरीकोज वेन्स, तनाव आदि समस्याओं की आशंकाा रहती है।
उन्होंने बताया कि पुलिस कर्मियों की इन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिया गया कि उनको ड्यूटी के दौरान ही कार्यस्थल पर यूनिफॉर्म में ही योगाभ्यास का प्रशिक्षण दिया जाए। पुलिसकर्मी आसानी से इन योगाभ्यास को कर सकते हैं। योगाभ्यास उनको दर्द और तनाव से मुक्ति देने के साथ साथ इम्युनिटी को भी मज़बूत बनाएगा । यह प्रशिक्षण लगातार 21 जून योग दिवस तक जारी रहेगा।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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