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कक्षा छह से ही कौशल विकास पर फोकस करने की आवश्यकताः मुख्य सचिव

आईटीआई के प्रशिक्षक आस-पास के स्कूलों का दौरा करें, सप्ताह में एक प्रशिक्षण कक्षा हो

देहरादून। सचिवालय में कौशल विकास विभाग की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु ने कहा कि बच्चों की रूचि के अनुरूप कौशल विकसित करने के लिए कक्षा छह से ही स्किल डेवेलपमेंट पर फोकस किए जाने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा,आईटीआई के प्रशिक्षक शुरुआत में अपने आस-पास के स्कूलों का दौरा करें और सप्ताह में एक प्रशिक्षण कक्षा का आयोजन किया जाए।
मुख्य सचिव ने राजकीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में वर्तमान एवं भविष्य की आवश्यकता के अनुसार लगातार कोर्स अपडेट किए जाने एवं मॉडर्न तकनीकों के प्रयोग किए जाने के निर्देश दिए।
उन्होंने कहा कि प्रशिक्षकों को भी नई तकनीक का प्रशिक्षण कराया जाना चाहिए। बच्चे ऑनलाइन किसी भी तकनीक की जानकारी ले सकें, इसके लिए एक डिजिटल लाइब्रेरी की व्यवस्था की जाए। साथ ही, योजनाओं में इंडस्ट्रीज को शामिल करते हुए बच्चों को सीधे इंडस्ट्रीज में ही प्रशिक्षण उपलब्ध कराए जाने की व्यवस्था की जाए।
उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण संस्थानों में नए एवं आधुनिक उपकरणों के माध्यम से ट्रेनिंग उपलब्ध कराई जानी चाहिए। इसके लिए आईटीआई लैब का आधुनिकीकरण किया जाए। इस मौके पर सचिव कौशल विकास विजय कुमार यादव समेत कौशल विकास विभाग के अन्य उच्चाधिकारी उपस्थित रहे।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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